खण्ड 4
बपतिस्मा का सक्रामेन्त
पहला
बपतिस्मा क्या है ?
बपतिस्मा केवल साधारण जल नहीं, परन्तु ईश्वर की आज्ञा और वचन से जोड़ा और मिलाया हुआ जल है ।
वह ईश्वर का कौन वचन है ?
वही वचन है , जो हमारा प्रभु यीशु ख्रिस्त मत्ती 28:19 में कहता है , की तुम जाओ और सब जातियों के लोगों को शिष्य बनाओ और उन्हें पिता , पुत्र , और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो ।
दूसरा
बपतिस्मा क्या फल देता है ?
वह पापों की क्षमा करता , मृत्यु और शैतान से छुड़ाता और हरएक को, जो ईश्वर के वचन और प्रतिज्ञा पर विश्वास करता है, अनंत सुख देता है ।
ईश्वर का वचन और प्रतिज्ञा क्या है ?
वही है , जो हमारा प्रभु यीशु मार्क के 16:16 में कहता है, की जो विश्वास करे और बपतिस्मा ले सो त्राण पयेगा, परन्तु जो विश्वास न करे, सो दण्ड के योग्य ठहराया जाएगा ।
तीसरा
जल क्यों कर ऐसे बड़े कार्य कर सकता है ?
जल तो ऐसे बड़े कार्य नहीं करता है, परन्तु ईश्वर का वचन जो जल से मिला और उससे लगा हुआ है और विश्वास, जो जल से मिले हुए ईश्वर के वचन पर प्रतीति रखता है, प्रभाव लाता है । क्योंकि ईश्वर के वचन के बिना जल केवल साधारण जल होकर बपतिस्मा नहीं है, परन्तु ईश्वर के वचन के संग वह बपतिस्मा है । अर्थात् दया और जीवन का त्राणकारी जल और पवित्र आत्मा के द्वारा नए जन्म का स्नान ।
जैसे पौलुस,तीतुस के 3:5 में कहता है कि नये जन्म के स्नान में पवित्र आत्मा को उसने हमारे त्राणकर्ता यीशु ख्रिस्त के द्वारा हम पर अधिकाई से उंडेला । इसलिए की हम उसके अनुग्रह से धर्मी ठहराए जाके अनंत जीवन की आशा के अनुशार अधिकारी बन जाएं , यह वचन विश्वास योग्य है ।
चौथा
परन्तु ऐसे जलाभिषेक का क्या अर्थ है ?
उसका यह अर्थ है , की पुराना आदम जो अब तक हम में है , प्रतिदिन के पश्चाताप और मन फिरने से डुबाया जाकर सब पाप और कुअभिलाषा सहित मरे और दिन-दिन नया मनुष्य निकलता और पुनजीवित होता रहे, जो धर्म और पवित्रता से सदालों ईश्वर के सम्मुख जिएँ ।
यह कहाँ लिखा है ?
पौलुस रोमियों के 6:4 में कहता है की उसके मृत्यु का बपतिस्मा लेने से हम उसके संग गाड़े गये, की जैसे ख्रिस्त पिता के ऐश्वर्य से मृतकों में से उठाया गया,वैसे हम भी जीवन की सी नई चल चलें ।
बपतिस्मा का सक्रामेन्त
पहला
बपतिस्मा क्या है ?
बपतिस्मा केवल साधारण जल नहीं, परन्तु ईश्वर की आज्ञा और वचन से जोड़ा और मिलाया हुआ जल है ।
वह ईश्वर का कौन वचन है ?
वही वचन है , जो हमारा प्रभु यीशु ख्रिस्त मत्ती 28:19 में कहता है , की तुम जाओ और सब जातियों के लोगों को शिष्य बनाओ और उन्हें पिता , पुत्र , और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो ।
दूसरा
बपतिस्मा क्या फल देता है ?
वह पापों की क्षमा करता , मृत्यु और शैतान से छुड़ाता और हरएक को, जो ईश्वर के वचन और प्रतिज्ञा पर विश्वास करता है, अनंत सुख देता है ।
ईश्वर का वचन और प्रतिज्ञा क्या है ?
वही है , जो हमारा प्रभु यीशु मार्क के 16:16 में कहता है, की जो विश्वास करे और बपतिस्मा ले सो त्राण पयेगा, परन्तु जो विश्वास न करे, सो दण्ड के योग्य ठहराया जाएगा ।
तीसरा
जल क्यों कर ऐसे बड़े कार्य कर सकता है ?
जल तो ऐसे बड़े कार्य नहीं करता है, परन्तु ईश्वर का वचन जो जल से मिला और उससे लगा हुआ है और विश्वास, जो जल से मिले हुए ईश्वर के वचन पर प्रतीति रखता है, प्रभाव लाता है । क्योंकि ईश्वर के वचन के बिना जल केवल साधारण जल होकर बपतिस्मा नहीं है, परन्तु ईश्वर के वचन के संग वह बपतिस्मा है । अर्थात् दया और जीवन का त्राणकारी जल और पवित्र आत्मा के द्वारा नए जन्म का स्नान ।
जैसे पौलुस,तीतुस के 3:5 में कहता है कि नये जन्म के स्नान में पवित्र आत्मा को उसने हमारे त्राणकर्ता यीशु ख्रिस्त के द्वारा हम पर अधिकाई से उंडेला । इसलिए की हम उसके अनुग्रह से धर्मी ठहराए जाके अनंत जीवन की आशा के अनुशार अधिकारी बन जाएं , यह वचन विश्वास योग्य है ।
चौथा
परन्तु ऐसे जलाभिषेक का क्या अर्थ है ?
उसका यह अर्थ है , की पुराना आदम जो अब तक हम में है , प्रतिदिन के पश्चाताप और मन फिरने से डुबाया जाकर सब पाप और कुअभिलाषा सहित मरे और दिन-दिन नया मनुष्य निकलता और पुनजीवित होता रहे, जो धर्म और पवित्रता से सदालों ईश्वर के सम्मुख जिएँ ।
यह कहाँ लिखा है ?
पौलुस रोमियों के 6:4 में कहता है की उसके मृत्यु का बपतिस्मा लेने से हम उसके संग गाड़े गये, की जैसे ख्रिस्त पिता के ऐश्वर्य से मृतकों में से उठाया गया,वैसे हम भी जीवन की सी नई चल चलें ।
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