खण्ड -2
प्रेरितों का विश्वास दर्पण
पहला भाग
सृष्टी के विषय में
मैं विश्वास करता हूँ, परमेश्वर पिता पर , जो स्वर्ग और पृथ्वी का सर्वशक्तिमान सिरजनहार है ।
इसका क्या अर्थ है ?
मैं मानता हूँ , की ईश्वर ने मुझे और सब सृष्टी को सृजा । वह मुझे देह और प्राण, आंख-कान और सब चैतन्य और सब इन्द्रियाँ देकर अब तक पालन करता है ।
इसके अतिरिक्त मुझे ओढना ,बिछौना ,खाना-पीना , घर- बार ,स्त्री , बच्चे, खेत-मवेशी और सब संपत्ति , देह और प्राण के सब आवश्यक पदार्थ और आहार बहुताई से प्रतिदिन पहुंचाता है । वह जोखिमों से बचाता और सब आपद से रक्षा करता है ।
यह सब मेरे गुण और योग्यता से नहीं परन्तु ईश्वर स्वयं अपनी निरी पैतृक ईश्वयीय भलाई और दया से करता है ।
तो अवश्य है , की मैं उसका धन्यवाद और प्रशंसा करूँ, उनका सेवक और आज्ञाकारी बना रहूँ । यह नि:संदेह सत्य है ।
दुसरा भाग
त्राण के विषय में
और उसके एकलौते पुत्र , अपने प्रभु यीशु ख्रिस्त पर,जो पवित्र आत्मा से गर्भ में आया ,कुँवारी मरियम से उत्पन हुआ, पंतियुस पिलातुस की आज्ञा से दुःख उठाया , क्रूस पर चढ़ाया गया ,मर गया और गाडा गया, पाताल में उतरा , तीसरे दिन मृतकों में से जी उठा , स्वर्ग पर चढ़ गया और परमेश्वर सर्वशक्तिमान पिता के दाहिने हाथ बैठा है , जहाँ से वह जीवतों और मृतकों का विचार करने को फिर आयेगा ।
इसका क्या अर्थ है ?
मैं मानता हूँ की यीशु ख्रिस्त मेरा प्रभु है । जो सच्चा ईश्वर होकर अनादि काल से पिता से उत्पत्र और सच्चा मनुष्य भी होकर कुँवारी मरियम से उत्पन्न हुआ ।
उसने मुझे खोए श्रापित मनुष्य का उद्धार किया और मुझे सब पाप , मृत्यु और शैतान के अधिकार से बचाया ।
उसने सोने और रुपे से नहीं परन्तु अपने पवित्र अनमोल लोहू और अपने निर्दोष कठिन दुःख-भोग और मृत्यु के द्वारा मुझे बचाया , की मैं उसी का होऊँ , उसके अधीन होकर उसके राज्य में जिऊँ और अनंत धर्म-परायणता , निर्दोषता और ईश्वरीय कृपा में उसकी सेवा करूँ कयोंकि जैसे वह मृतकों में से जी उठा और सदालों जीता और राज्य करता है । यह नि:संदेह सत्य है ।
तीसरा भाग
पवित्रीकरण के विषय में
मैं विश्वास करता/करती हूँ , पवित्र आत्मा पर, एक ही पवित्र ख्रिस्तानी कलीसिया , पवित्रों की संगत पर, पापों की क्षमा , देह के जी उठने और अनन्त जीवन पर, आमीन ।
इसका क्या अर्थ है ?
मैं मानता/मानती हूँ की मैं अपनी चेतना और शक्ति से अपने प्रभु यीशु ख्रीस्त पर किसी प्रकार न तो विश्वास कर सकता , न उसके पास पहुँच सकता/सकती हूँ ।
परन्तु पवित्र आत्मा ने मुझे मंगल समाचार के द्वारा बुलाया, अपने दानों से प्रकाशमय और सच्चे विश्वास में पवित्र और स्थिर किया । जैसे वह पृथ्वी पर सम्पूर्ण ख्रिस्तानी मंडली को बुलाता, बटोरता , प्रकाशमय
और पवित्र करता है और यीशु ख्रिस्त में एकही सच विश्वास के द्वारा स्थिर करता रहता है, इसी कलीसिया में वह प्रतिदिन मेरे और सब विश्वासियों के सारे पाप अनुग्रह से क्षमा करता है , और हम सभों को महाविचार के दिन मृतकों में से जिला उठाएगा और मुझे और सब ख्रिस्त विश्वासियों को अनन्त जीवन देगा , यह नि:संदेह सत्य है ।
प्रेरितों का विश्वास दर्पण
पहला भाग
सृष्टी के विषय में
मैं विश्वास करता हूँ, परमेश्वर पिता पर , जो स्वर्ग और पृथ्वी का सर्वशक्तिमान सिरजनहार है ।
इसका क्या अर्थ है ?
मैं मानता हूँ , की ईश्वर ने मुझे और सब सृष्टी को सृजा । वह मुझे देह और प्राण, आंख-कान और सब चैतन्य और सब इन्द्रियाँ देकर अब तक पालन करता है ।
इसके अतिरिक्त मुझे ओढना ,बिछौना ,खाना-पीना , घर- बार ,स्त्री , बच्चे, खेत-मवेशी और सब संपत्ति , देह और प्राण के सब आवश्यक पदार्थ और आहार बहुताई से प्रतिदिन पहुंचाता है । वह जोखिमों से बचाता और सब आपद से रक्षा करता है ।
यह सब मेरे गुण और योग्यता से नहीं परन्तु ईश्वर स्वयं अपनी निरी पैतृक ईश्वयीय भलाई और दया से करता है ।
तो अवश्य है , की मैं उसका धन्यवाद और प्रशंसा करूँ, उनका सेवक और आज्ञाकारी बना रहूँ । यह नि:संदेह सत्य है ।
दुसरा भाग
त्राण के विषय में
और उसके एकलौते पुत्र , अपने प्रभु यीशु ख्रिस्त पर,जो पवित्र आत्मा से गर्भ में आया ,कुँवारी मरियम से उत्पन हुआ, पंतियुस पिलातुस की आज्ञा से दुःख उठाया , क्रूस पर चढ़ाया गया ,मर गया और गाडा गया, पाताल में उतरा , तीसरे दिन मृतकों में से जी उठा , स्वर्ग पर चढ़ गया और परमेश्वर सर्वशक्तिमान पिता के दाहिने हाथ बैठा है , जहाँ से वह जीवतों और मृतकों का विचार करने को फिर आयेगा ।
इसका क्या अर्थ है ?
मैं मानता हूँ की यीशु ख्रिस्त मेरा प्रभु है । जो सच्चा ईश्वर होकर अनादि काल से पिता से उत्पत्र और सच्चा मनुष्य भी होकर कुँवारी मरियम से उत्पन्न हुआ ।
उसने मुझे खोए श्रापित मनुष्य का उद्धार किया और मुझे सब पाप , मृत्यु और शैतान के अधिकार से बचाया ।
उसने सोने और रुपे से नहीं परन्तु अपने पवित्र अनमोल लोहू और अपने निर्दोष कठिन दुःख-भोग और मृत्यु के द्वारा मुझे बचाया , की मैं उसी का होऊँ , उसके अधीन होकर उसके राज्य में जिऊँ और अनंत धर्म-परायणता , निर्दोषता और ईश्वरीय कृपा में उसकी सेवा करूँ कयोंकि जैसे वह मृतकों में से जी उठा और सदालों जीता और राज्य करता है । यह नि:संदेह सत्य है ।
तीसरा भाग
पवित्रीकरण के विषय में
मैं विश्वास करता/करती हूँ , पवित्र आत्मा पर, एक ही पवित्र ख्रिस्तानी कलीसिया , पवित्रों की संगत पर, पापों की क्षमा , देह के जी उठने और अनन्त जीवन पर, आमीन ।
इसका क्या अर्थ है ?
मैं मानता/मानती हूँ की मैं अपनी चेतना और शक्ति से अपने प्रभु यीशु ख्रीस्त पर किसी प्रकार न तो विश्वास कर सकता , न उसके पास पहुँच सकता/सकती हूँ ।
परन्तु पवित्र आत्मा ने मुझे मंगल समाचार के द्वारा बुलाया, अपने दानों से प्रकाशमय और सच्चे विश्वास में पवित्र और स्थिर किया । जैसे वह पृथ्वी पर सम्पूर्ण ख्रिस्तानी मंडली को बुलाता, बटोरता , प्रकाशमय
और पवित्र करता है और यीशु ख्रिस्त में एकही सच विश्वास के द्वारा स्थिर करता रहता है, इसी कलीसिया में वह प्रतिदिन मेरे और सब विश्वासियों के सारे पाप अनुग्रह से क्षमा करता है , और हम सभों को महाविचार के दिन मृतकों में से जिला उठाएगा और मुझे और सब ख्रिस्त विश्वासियों को अनन्त जीवन देगा , यह नि:संदेह सत्य है ।
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