Saturday 10 February 2018

प्राक्कथन

  प्राक्कथन 
     १५२७ और १५२८ में लूथर और उसके सहकर्मीयों को सेक्सोनी क्षेत्र को कलीसियों का जायजा लेने का काम वहां के राजकुमार द्वारा दिया गया । जायजा के पश्चात् जो परिणाम निकले वे बहुत निराशाजनक थे । पुरोहित वर्ग और सामान्य लोगों के बीच में अज्ञानता बराबर थी और बिद्यालयों का बुरा हाल था  ।
    इन्हीं परिस्थितिओं से उत्प्रेरित होकर लूथर ने सामान्य लोगों की आवश्यकता को ध्यान में रखा और फ़ौरन चार्ट तैयार किया जिसमें साधारण भाषा में दस आज्ञाओं , प्रभु की प्रार्थना और प्रेरितों के विश्वास वाक्य की व्याख्या लिखी  । जब उसके सहकर्मी और सहयोगी पाठ्य सामग्री को उपलब्ध करा सकने में देर करने लगे तब लूथर ने स्वयं रचित उस चार्ट (कागज़ पट्ट) को जिसको उसने अपने दिवार पर लगा रखा था, अपने साथ लिया और संछिप्त , साधारण विश्वास की व्याख्या के रूप में प्रकाशित कर दिया  ।
       लुथर ने अपने इस कटेकिस्म की रचना परिवारिक आराधना के समय एक सहायक पुस्तिका के रूप में की थी ।
 इसकी प्रथावना में भी उसने ऐसे अभिभावकों की निंदा की है जो अपने बच्चों को ख्रीस्तीय शिक्षा देने में उदासीन हैं और उसकी उपेक्षा करते हैं और वे 'ईश्वर और मनुष्य के शत्रु ' होने की श्रेणी में आया जाते हैं।
मूल रूप में कटेकिस्म के लगभग सभी भाग के घर प्रधान के प्रति वाक्यओं से शुरु होते हैं । उदाहरण स्वरुप - दस आज्ञाओं को बिलकुल सादे रूप में लिखा गया है जिसे परिवार के मुखिया द्वारा परिवार को सिखाने में कठिनाई न हो  । कटेकिस्म नौ खण्डों (चार भाग) में  बिभाजित हैं और सभी प्रश्नोत्तर के प्रारूप में है। दस आज्ञाएँ, प्रेरितों का विश्वास वाक्य, प्रभु की प्रार्थना, बपतिस्मा, पाप स्वीकार एवं पाप मोक्षण और प्रभु भोज के अलावे सुबह एवं शाम की  प्रार्थनाऐं, खाने के समय की प्रार्थनाएं भी सम्मिलित है । पवित्रशास्त्र पर आधारित ' कर्तब्यों की सूचि ' का भी इसमें चयन है, जिसमें सम्भवत: मनुष्य परिस्थितिवश कर्तब्यों का निर्वाह नहीं कर पता है।
    विश्व में लूथरवाद सबसे ज्यादा प्रभावकारी कटेकिस्म के कारण ही हुआ है जो बड़े सत्य को ऐसी भाषा में प्रस्तुत करने में सक्षम हुआ जिसे सभी समझ सकें ।
 मार्टिन लूथर का छोटा कटेकिस्म दस आज्ञाओं की वाख्या ख्रिस्त के कामों की व्यख्या से पहले करता है। कटेकिस्म का विश्वास वाक्य विशेषकर ख्रिस्त में मिलने वाले मुफ्त त्राण को चिन्हित करता है  । और बपतिस्मा एवं प्रभु भोज की प्रचुर वाख्या, काथलिक संस्कारवाद और प्रोटेस्टेन्ट का लाक्षणिक/संकेतिक प्रयोग का दृष्टीकोण जिसको लूथर ने एक लम्बे धर्मवैज्ञानिक कार्य के रूप में विकसित किया ।
       मूल अर्थ में छेड़-छाड न करते हुए कटेकिस्म के इस संस्करण में भाषा का आंशिक सुधर किया गया है  । लौंगिक न्याय (Gender Justice) को ध्यान में रख कर स्त्रीवाचक क्रियापदों का सम्मिलन एवं इसकी बाहरी रूप रेखा में सजावट का प्रयास भी किया गया है । आशा है कटेकिस्म का नया रूप मण्डलियों के लिये उपयोगी होगी  ।

     इस पुस्तिका की उपयोगिता मण्डलियों में बनी रहे और इसका सदुपोयोग ख्रिस्तियता की समझ को स्पस्ट करने और विश्वास में मजबूती लाने के लिए होती रहे । लूथर की तरह एक व्याकुल मसीही होने के लिए हम भी प्रेरित हो सकें इन्हीं सुभकामनाओं एवं प्रार्थना के साथ छोटा कटेकिस्म का यह online संस्करण आपके हाथों में समर्पित है  ।

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